अभी कुछ दिन पूर्व एक समाचार पत्र में पढ़ा कि रिजर्व बैंक ने देश में अंधाधुन्ध आ रही नकली मुद्रा को लेकर आगाह किया, इस पर हमारे वित्त मंत्री श्री प्रणव मुखर्जी ने कहा कि यह उनकी नजर में कोई बड़ा खतरा नहीं है। चूंकि उसकी नजर ही सरकार की नजर है इसलिए सरकार भी इसको लेकर भयभीत नहीं है। उन्होने बाकायदा आंकड़े प्रस्तुत कर यह सिद्ध किया कि नकली करेंसी अभी कुल मुद्रा की 0.001 प्रतिशत ही है। जब तक एक के पहले लगने वाले शून्य एक के बाद में लगने न शुरु हो तब तक कोई खतरे की बात नहीं है। उन्होने यह भी कहा कि भारत छोटा मोटा देश नहीं है। हमें घबराने की जरूरत नही है। सरकार नकली मुद्रा लाने वालों पर स्टेनलेस स्टील से भी कड़ी नजर रख रही है। समस्या यह है कि स्टेनलेस स्टील पारदर्शी नही होता इसीलिये इस तरह की नजर रखने के बावजूद कुछ दिन पूर्व डुमरिया गंज जिला- सिद्धार्थ नगर, उत्तर प्रदेश के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के करेंसी चेस्ट में करोड़ों के नकली नोट बरामद हुए थे। वित्त मंत्री जी को व उनकी सरकार को ऐसी कई बातों से भय नही लगता न लगा, जिसका वर्णन उन्होने अभी नही किया है पर भविष्य मे कर सकते हैं वे निम्नवत हैं।
- देश में आतंक वादी खुलेआम आयें, घूमें, कहाँ बम फोड़ना है इसकी रूपरेखा बनाएं और उसे पूरा करें। इस काम में सरकार व उसकी एजेंसियों का पूरा सहयोग मिलेगा, क्योंकि इनके कार्यों से सरकार नही मरती मरते है केवल आम आदमी जिसकी यहाँ बहुतायत है, करोड़ों में से कुछ हजार कम भी होते हैं तो कोई चिन्ता की बात नही। सरकार को इससे भय नही लगता क्य़ोंकि घटना के बाद बड़ी-बड़ी बातें कर वोट लूटने की काफी गुँजाइस रहती है।
- काश्मीर से हिन्दुओं को खदेड़ा जाय, उनकी सम्पत्ति लूटी जाय, वे बेघर होकर दिल्ली व अन्य नगरों में नरकीय जीवन व्यतीत करें, इससे भी सरकार को भय नही लगता क्योंकि हिन्दू हैं ही इसी लायक। अगर इससे सरकार भयभीत हो जायेगी तो सरकार को खतरा हो जायेगा अतऐव वह इससे भयभीत नहीं, बल्कि प्रसन्न होती है कि हिन्दू इसी तरह पीटे-कुचले जाने से उसका वोट बैंक बढ़ता है।
- असम में उल्फा आतंकवादियों द्वारा सैकड़ो निरीहों को मारने से भी सरकार भयभीत नही होती, इससे उसे राजनीति करने के नये आयाम मिलते हैं।
- सरकार महराष्ट्र के मनसे व शिवसेना के गुंडो से भी भयभीत नही होती, वह तो इसे शह देती है क्योंकि इसमें हिन्दू ही आपस मे कटते-मरते है। अलगाव-वाद फैलता है जो सरकार के लिए खाद का काम करती है, भला इससे भयभीत क्यों हुआ जाय।
- सरकार बम्बई, दिल्ली, अहमदाबाद शहरों मे हुए आतंकवादी घटनाओं से भी भयभीत नही होती, क्योकि इसमें कहीं भी सरकार नही मरी। आतंकवादी तो सरकार का काम आसान ही कर रहें है, ऐसी घटनाओं से आबादी में कमी आती है और सरकार को बन्दर प्रयास करने का अवसर प्राप्त होता है।
- मधु कोड़ा जैसे लोगों द्वारा लूटपाट कर धन विदेशों में लगाने जैसी घटनाओं से भी सरकार चिन्तित नही होती, क्योकि देश मे धन की कोई कमी नहीं है, गजनी से लेकर अंग्रेज व अब देसी अंग्रेज लूट ही रहें है, इससे कोई फर्क तो पड़ा नही, क्योकि आतंकवादी नकली नोट तो ला ही रहे हैं।
- देश को टुकड़ों में बाँटने वालों से भी सरकार भयभीत नही होती, भारत बहुत बड़ा देश है यदि इसके बीस-पच्चीस टुकड़े हो भी जाते हैं तो क्या फर्क पड़ेगा, इससे तो सरकार के मंत्रियों की संख्या ही बढ़ेगी।
सरकार तो डरती है केवल निम्नलिखित बातों से इसीलिये वह अपनी पूरी ताकत इन्हें नष्ट करनें में लगाती है, और काम के लिये सरकार के पास न तो समय है न ही इच्छा शक्ति।
- राष्टीय स्वयं सेवक संघ से।
- हिन्दू एकता से।
- मुसलमानों से वन्देमातरम् कहने वालों से।
- देश हित की बात कहने वालों से।
- देश की एकता और अखन्डता की केवल बातें न कर ऐसा प्रयास करने वालों से।
- एक देश- एक कानून की माँग करने वालों से।
- राष्टीय स्वयं सेवक संघ से।