शुक्रवार, 17 जुलाई 2009

यह क्या हो रहा है

मुरादाबाद में कांग्रेस की नेत्री रीता बहुगुणा ने एक भाषण दिया, जिसकी भाषा वास्तव में अभद्र थी। हमारे देश के पुरुष नेता मुद्दत से ऐसी भाषा का प्रयोग करते आ रहे है। हमारे देश के इन कथित नेताओं का नैतिक स्तर बहुत पहले से ही रसातल में जा चुका है। जब ये नेता संसद के भीतर भी ऐसा कह जाते हैं कि उन अंशों को संसदीय कार्यवाही से निकालना पड़ता है, तो इनका स्तर क्या है इसकी कल्पना सहज की जा सकती है। महिला आयोग काफी समय से यह प्रयास कर रहा था कि महिलाओं को पुरुष के बराबर अधिकार मिले, अन्य अधिकार अभी भले न मिले हों पर अभद्र भाषा के प्रयोग में उन्होने यह अधिकार हाँसिल कर ही लिया। इस पर महिला आयोग शायद गर्व महसूस करें। मायावती स्वयं भी शालीन भाषा का प्रयोग बहुत कम करती है। रीता बहुगुणा ने महिला होकर भी एक महिला के बारे में ऐसी अभद्र भाषा का प्रयोग किया और इस के कारण उनकी निन्दा होती या कोई मुकदमा चलाया जाता अथवा इस विषय में बहस होती तो बात और थी, परन्तु चर्चा का विषय महिला न होकर दलित महिला का हो गया है जिसकी निन्दा की जानी चाहिये। उन पर मुकदमा भी दलित अपमान का हुआ है गोया यदि उन्होने किसी दूसरी महिला जो दलित समाज से नही आती पर टिप्पणी की होती तो शायद इतना शोर न मचता नही, न ही तथाकथित निष्पक्ष समाचार देने वाले न्यूज चैनल इसकी निन्दा करते। यह बड़े शर्म की बात है कि रीता बहुगुणा के भाषण कि निन्दा होनी चाहिये थी महिला के प्रति अपमान जनक बात कहने की पर निन्दा हो रही है दलित महिला के प्रति अपमान जनक बात कहने की। क्या इस पर कोई विचार करने को तैयार है? आज के इस जातियों में बँटे समाज में शायद नहीं

मंगलवार, 7 जुलाई 2009

केन्द्रीय बजट-एक तमाशा

वित्त मंत्री श्री प्रणव मुखर्जी द्वारा प्रस्तुत केन्द्रीय बजट में भी ऐसा प्रतीत होता है कि केन्द्रीय सरकार ने अपने मिले वोटों का कर्ज चुकाने का प्रयास किया गया है। बजट की कुछ सुर्खियाँ निम्नवत है
• मदरसों के शिक्षकों का मानदेय तीन गुना किया गया।
• अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के केरल एवम् मुर्शिदाबाद में 25-25 करोड़ रुपये की लागत से कैम्पस बनाने की घोषणा।
• गरीबों की हितैषी सरकार अब क्रूड आयल के दाम बढ़ने पर उससे वसूल करेगी।
• डाक्टर व वकील की फीस में 10.24 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी।
• वित्त मंत्री के इन्द्रजाल का उल्टा असर शेयर बाजर पर, अच्छा गोता खाया।
• गरीबी घटाने नही, पूर्व प्रधान मंत्री श्रीमति इन्दिरा गाँधी के तर्ज पर गरीबी हटाने का वादा।
यह कुछ मुख्य बिन्दु हैं, वोटों के कर्ज को चुकाने का सिलसिला जारी है। टैक्स द्वारा वसूल किये गये धन का मुस्लिम तुष्टिकरण हेतु लुटाने के सिलसिले को जारी रखते हुए, वित्त मंत्री ने मुस्लिम संस्थाओं के आँगन में पैसों की बारिस कर दी है। बजट का घाटा इस कदर है कि प्रत्येक भारतीय नागरिक गर्व से कह सकता है कि मेरे ऊपर लगभग 1200 रुपये का विदेशी कर्ज है। वैसे विदेशी चीजों का हमारे देश में बहुत क्रेज है फिर वह चाहे कर्ज ही क्यों न हो।
न्याय की आस में भटकने वालों के लिये एक शुभ सूचना है कि उन्हे मिलने वाले न्याय की कीमत 10.24 प्रतिशत बढ़ा दी गयी है, आखिर जब सभी वस्तुओं के दामों में बढ़ोत्तरी हो रही है तो न्याय को इससे अलग कैसे रखा जा सकता है, इसी प्रकार बार-बार डाक्टर के पास जाने वाले भी सावधान! भई बीमार मत पड़ो,यही शिक्षा दी है काबिल वित्त मंत्री जी ने। डाक्टरों की फीस में भी 10.24 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी करने का ऐलान है इस बजट में।
शेयर बाजार में धन लगाने वाले छोटे निवेशकों को भी जोर का झटका धीरे से लगा है, सेंसेक्स में 5.83 प्रतिशत की वृद्धि (ऋणात्मक ही सही) हुई है।
नई बोतल में पुरानी शराब परोसते हुए राष्ट्रीय ग्रामीण जीविका मिशन नाम की योजना लायी है, जिसके लागू होने पर हमारे देश से गरीबी ऐसे भाग जाएगी जैसे कभी थी ही नही। ऐसा पिछले कार्यकाल में ही हो जाता पर वाम मोर्चा ने कुछ होने नही दिया, इस बार से पूरे मन से प्रयास किये जायेंगे और देश से गरीबी गधे के सिर से सींग की तरह गायब कर दी जायेगी, ताकि अगले चुनाव में गरीबों का हाथ कांग्रेस के साथ जैसे नारों की जरूरत ही पड़े।

रविवार, 5 जुलाई 2009

एक वैश्य की कहानी

एक दिन की बात है, मैं कही जा रहा था, कहाँ जा रहा था यह बताने की आवश्यकता नही है। एक जगह देखा कि रास्ते में बड़ी भीड़ लगी है। उत्सुकतावश मैं भी वहाँ चला गया। वहाँ देखा तो पता चला कि एक आदमी सड़क के किनारे बने गड्ढे में गिर गया है, गड्ढा बहुत गहरा नही था पर इतना गहरा जरूर था कि वह आदमी खुद-ब-खुद नही निकल सकता था। मैंने वहाँ लगी भीड़ में से एक आदमी से पूछा कि क्या हो गया है? उसने जबाब दिया 'एक बावला सा आदमी गड्ढे में गिर गया है, लोग उसे निकालने का प्रयास कर रहें है पर वो है कि जैसे निकलने को तैयार ही नही, अजीब आदमी है'
मैं गड्ढे के नजदीक पहुँचा तो देखता हूँ कि कई आदमी गड्ढे के किनारे बैठ कर अपना हाथ गड्ढे में डाले चिल्ला रहे है, 'हाथ दे, हाथ दे, अबे हाथ क्यों नही देता'

मैंने गड्ढे में झाँका तो सारा माजरा समझ में आ गया। मैने वहाँ मौजूद लोगों से कहा – आप लोग चिन्ता न करें, इस आदमी को मैं पहचानता हूँ, और अभी गड्ढे से निकाल देता हूँ। आप लोग जरा किनारे हट जायँ ताकि मैं आराम से वहाँ बैठकर उससे बात कर सकूँ।
सारे आदमी वहाँ से हट गये, फिर मैंने अपना हाथ गड्ढे में लटका कर उस आदमी की ओर मुखातिब होकर कहा – लो रामलाल हाथ लो। इतना सुनते ही उसने लपक कर मेरा हाथ पकड़ लिया, और मैंने उसे गड्ढे के बाहर खींच लिया। उसके बाहर निकलते ही लोगों ने उसे घेर लिया और लगे बुरा-भला कहने। लोगों ने मुझे भी घेर लिया और कहने लगे कि वाह भई आप के हाथ में वह कौन सा जादू है जिससे इस आदमी को पलक झपकते ही गड्ढे से बाहर निकाल लिया, यह तो लगभग एक घन्टे से सबका खून पी रहा था। मैंने लोगों को राज की बात बताई। मैंने कहा – इस आदमी को मैं पहचानता था, यह हमारे कस्बे का बनिया रामलाल है। बनिया होने के नाते इसने कभी देने का नाम ही नही सुना, वह तो केवल लेना ही जानता है; इसीलिये मैंने इससे हाथ देने की बात ही नही की, जैसा आप लोग कर रहे थे। मैंने तो केवल यही कहा कि रामलाल हाथ लो, और इसने इतना सुनते ही झपट कर मेरा हाथ पकड लिया और बाहर आ गया।

गुरुवार, 2 जुलाई 2009

कटी नाक के फायदे

यहाँ अवतरित एक मुखिया जो कि डाक्टर हैं, अरे वो दवाई वाले डाक्टर नही, बल्कि ये घास-पात के डाक्टर हैं। सुनते हैं कि बहुत कड़क हैं, नाक पर मक्खी नही बैठने देते। यह भी सुना है कि एक बार इनकी नाक पर एक मक्खी बैठ गयी थी तो उन्होने नाक ही कटवा ली, न रहेगी नाक न बैठेगी मक्खी। बताया जाता है कि पूर्व में ये किसी अर्धशाशकीय संस्थान में थे, वहाँ इन्होने पूरा माल काटा, बात खुली तो ये बाहर कर दिये गये। उसी संस्थान में इनकी काफी सेवादारी भी हुई थी, अच्छी तरह हुई थी कई दिन तक हल्दी का दूध पीते रहे थे। इसके बाद उन्हे हल्दी के दूध का स्वाद इतना अच्छा लगा कि वे जहाँ कही भी रहे ऐसी हरकत जरूर करते थे कि हल्दी का दूध पीने की आस पूरी हो जाय।
चूँकि नाक पहले ही कटवा रखी है, इसलिये इन्हे किसी बात की चिन्ता नही है। जैसे वास्तविक संन्त महात्मा, माया-मोह से परे हो जाते हैं वैसे ही ये उन सब बातों से ऊपर हो गये हैं, जिनसे किसी सामान्य आदमी को शर्मिन्दगी होती है। इसका इन्हे बहुत फायदा होता है। चूँकि नाक इतनी सफाई से कटवाई है कि सामान्य-जन को इसका भान ही नही होता कि इनकी नाक कटी हुई है। और जगहों पर उनके हाथ मे शक्ति विराजमान थी कटखने बन्दर की भाँति काटते थे, फिर इनकी पूजा हो जाती थी तब हल्दी का दूध पी कर पड़ जाते थे। यहाँ आने के बाद उन्होने बताया कि उनके हाथ मे उस्तरा आ गया है, एक तो कटखना बन्दर, दूसरे हाथ में उस्तरा, बड़ी चिरेंज काटी, फिर एक दिन पता चला कि उनके उस्तरे की धार कुन्द कर दी गयी है। मालुम हुआ की उन्होने मदारी को ही उस्तरा दिखा दिया था, इस पर मदारी ने उनके उस्तरे की धार को भोथरा करवा दिया। फिर भी, जैसे चोर चोरी से जाय पर हेराफेरी से नही जाता, उसी प्रकार स्थानीय स्तर पर उनकी हरकतें उसी कटखने बन्दर जैसी हैं, यह जानते हुए कि उस्तरे की धार भोथरी हो चुकी है फिर भी भाँजे जा रहे हैं, शायद इस आस में कि भले ही मार न सके चोटिल तो कर ही सकते है।
सामान्य-जन जो इस बात को जान गये हैं कि उस्तरे की धार भोथरी हो चुकी है, उन्हे इसकी प्रसन्नता है। बस इन्तजार है कि कब इन्हे हल्दी दूध पीने का अवसर प्रदान हो।