मंगलवार, 7 जुलाई 2009

केन्द्रीय बजट-एक तमाशा

वित्त मंत्री श्री प्रणव मुखर्जी द्वारा प्रस्तुत केन्द्रीय बजट में भी ऐसा प्रतीत होता है कि केन्द्रीय सरकार ने अपने मिले वोटों का कर्ज चुकाने का प्रयास किया गया है। बजट की कुछ सुर्खियाँ निम्नवत है
• मदरसों के शिक्षकों का मानदेय तीन गुना किया गया।
• अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के केरल एवम् मुर्शिदाबाद में 25-25 करोड़ रुपये की लागत से कैम्पस बनाने की घोषणा।
• गरीबों की हितैषी सरकार अब क्रूड आयल के दाम बढ़ने पर उससे वसूल करेगी।
• डाक्टर व वकील की फीस में 10.24 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी।
• वित्त मंत्री के इन्द्रजाल का उल्टा असर शेयर बाजर पर, अच्छा गोता खाया।
• गरीबी घटाने नही, पूर्व प्रधान मंत्री श्रीमति इन्दिरा गाँधी के तर्ज पर गरीबी हटाने का वादा।
यह कुछ मुख्य बिन्दु हैं, वोटों के कर्ज को चुकाने का सिलसिला जारी है। टैक्स द्वारा वसूल किये गये धन का मुस्लिम तुष्टिकरण हेतु लुटाने के सिलसिले को जारी रखते हुए, वित्त मंत्री ने मुस्लिम संस्थाओं के आँगन में पैसों की बारिस कर दी है। बजट का घाटा इस कदर है कि प्रत्येक भारतीय नागरिक गर्व से कह सकता है कि मेरे ऊपर लगभग 1200 रुपये का विदेशी कर्ज है। वैसे विदेशी चीजों का हमारे देश में बहुत क्रेज है फिर वह चाहे कर्ज ही क्यों न हो।
न्याय की आस में भटकने वालों के लिये एक शुभ सूचना है कि उन्हे मिलने वाले न्याय की कीमत 10.24 प्रतिशत बढ़ा दी गयी है, आखिर जब सभी वस्तुओं के दामों में बढ़ोत्तरी हो रही है तो न्याय को इससे अलग कैसे रखा जा सकता है, इसी प्रकार बार-बार डाक्टर के पास जाने वाले भी सावधान! भई बीमार मत पड़ो,यही शिक्षा दी है काबिल वित्त मंत्री जी ने। डाक्टरों की फीस में भी 10.24 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी करने का ऐलान है इस बजट में।
शेयर बाजार में धन लगाने वाले छोटे निवेशकों को भी जोर का झटका धीरे से लगा है, सेंसेक्स में 5.83 प्रतिशत की वृद्धि (ऋणात्मक ही सही) हुई है।
नई बोतल में पुरानी शराब परोसते हुए राष्ट्रीय ग्रामीण जीविका मिशन नाम की योजना लायी है, जिसके लागू होने पर हमारे देश से गरीबी ऐसे भाग जाएगी जैसे कभी थी ही नही। ऐसा पिछले कार्यकाल में ही हो जाता पर वाम मोर्चा ने कुछ होने नही दिया, इस बार से पूरे मन से प्रयास किये जायेंगे और देश से गरीबी गधे के सिर से सींग की तरह गायब कर दी जायेगी, ताकि अगले चुनाव में गरीबों का हाथ कांग्रेस के साथ जैसे नारों की जरूरत ही पड़े।

1 comments:

शशांक शुक्ला ने कहा…

ये बजट वो देसी घी की जलेबी है जो सिर्फ पैसे वालों की खरीद में है। आम आदमी की सरकार कांग्रेस तो कभी रही ही नहीं। हां उनका हाथ जरुर चपैट की तरह गाल का साथ देता रहा है।