आखिरकार नयी केन्द्र सरकार ने मुसलमानों के मिले वोट का कर्ज चुकाते हुए यह कबूल कर लिया कि संसद हमले का दोषी अफजल अपनी प्राकृतिक मौत ही मरेगा। दैनिक जागरण मे छपे समाचार के अनुसार केन्द्रीय मन्त्री वीरप्पा मोइली ने यह कबूल कर लिया कि अफजल को फाँसी देना केन्द्र सरकार के बूते में नही है। सन्दर्भ हेतु समाचार के कुछ अंश प्रस्तुत हैं।
"आठ साल पहले संसद पर हुए आतंकी हमले के दोषी अफजल गुरू की फांसी में 25 साल भी लग
सकते हैं। निकट भविष्य में उसकी फांसी तो कतई संभव नहीं है। कानून मंत्री एम.
वीरप्पा मोइली ने इस बात की स्वीकरोत्ति दी हैं। बताते चलें कि राष्ट्रपति के पास इस समय 28 दया याचिकाएं लंबित हैं।"
यह तो होना ही था, इसमे आश्चर्य करने जैसी कोई बात नही है। सुरक्षा एजेन्सियाँ जिन आतंकवादियों को जान हथेली पर रखकर पकड़ती है, कांग्रेस नीत सरकार उनकी सेवा मे जुट जाती है, आखिर वोट का सवाल है। पृथ्वीराज के युग में तो एक जयचन्द था, इस युग मे तो जयचन्दों की भीड़ है। आखिर आतंकियों को उनके मंजिल तक सुरक्षित रख हिन्दुस्तान को दारुल हरब से दारुल इस्लाम बनाने मे मदद जो करनी है।
असली गलती तो सुरक्षा बलों की है कि वे उन आतंकवादियों को पकड़ते क्यों हैं, उन्हे मार क्यों नही देते। उन्हें पकड़कर ऐसे मुस्लिम वोट के लोभी नेताओं को मेहमान नवाजी का अवसर क्यों देते हैं।
1 comments:
सही कहा बिलकुल सटीक
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