सोमवार, 17 नवंबर 2008

नेताओं की वोट परस्ती

इन दिनों देश की राजनीतिक स्थिति को देख कर सभी देश भक्त नागरिकों का हृदय छलनी हो जाता है। वर्तमान समय में देश की राजनीति का नैतिक स्तर निम्नतम् बिन्दु पर पहुँच गया है। राज नेता, नेता न होकर वोट के सौदागर बन गए हैं। वर्तमान भारत सरकार बिना रीढ़ की है, सत्तारूढ़ दल अगला चुनाव जीतने के लिए किसी भी स्तर तक गिरने को तैयार है। कांग्रेस सहित अनेक दल मुसलिम वोटों थोक के व्यापारी बनने हेतु जमीन आसमान एक कर रहें हैं। उनकी निगाहों में बड़ी डीलरशिप पाने के लिए समाज का तोड़ना, देश का अहित करना,आवश्यक है भले ही देश टूटता है तो टूटे। मुसलिम तुष्टिकरण करने की होड़ मची है, इसका पैमाना भी बड़ा सीधा है, बहुसंख्यक हिन्दुओं गाली देना। जो जितना ही ज्यादा गाली देगा उसे उतना ही बड़ा मुसलिम वोटों का आर्डर मिलेगा।
एक हैं अमर सिंह, समाजवादी पार्टी के नेता है, वे मारे गये आतंकवादियों के घर मातमपुर्सी के लिए जाना अपना धर्म समझते हैं। आज सारा विश्व मुसलिम आतंकवाद से पीड़ित है, पर उन्हे वे सच्चा समाजवादी, सच्चा देशप्रेमी, बताने में नहीं हिचकते। उनकी निगाहों में ऐसा करने से मुसलिम वोटों को वे अपनी ओर ऐसा खींच लेंगे जैसै चुम्बक लोहे को खींचता है। उन्हे हिन्दुओं की चिंता नहीं है क्योंकि हिन्दू आपस में बंटे हुए हैं। इसी प्रकार एक है कुलदीप नैयर, अखबारों में स्तम्भ लिखते हैं, उन्हें सावन के अन्धों की तरह सब बाबरी ही दिखाई देती है। हिन्दुओं को गाली देना अपना परम कर्तव्य समझते हैं, मजे की बात यह है कि, यदि कैलीफोर्निया में आये तूफान के विषय में लेख लिख रहें हों तो भी उसमें तथाकथित बाबरी मसजिद का जिक्र करना नहीं भूलते। एक हैं राम बिलास पासवान, उन्हें तो सारे बांगला देशी घुसपैठिए अपने भाई लगते हैं उनके लिए राशन कार्ड बनवाना अपना धर्म समझते हैं भले ही इस कारण उनके समाज के लोगो की दुशवारियां बढ़े क्योंकि इसी को वे मुसलिम वोटों के लिए जरूरी मानते हैं।
यह देख कर अत्यन्त दुःख होता है कि दो हजार साल से गुलाम रहे हिन्दुओं की आत्मा जैसे मर गई हो। गुलामी तो ऐसी उनके खून में रच बस गयी है कि वे देखते हुए भी अन्धों का अनुसरण करने में उन्हे गर्व महसूस होता है। हिन्दू अपनी ही जाति के दुश्मन हैं, इन्हे बाहरी दुश्मनों की आवश्यकता ही नही है, इस दुश्मनी को बढ़ाने के लिए हिन्दू समाज में मायावती, लालू, मुलायम करुणाकरन,पाटिल आदि जैसे अनेक नेता मौजूद हैं। सैकड़ो सालो की मुसलिम आक्रान्ताओं की गुलामी के बाद हिन्दुओं को अंग्रेजों की गुलामी उपहार में मिली। आपस में लड़ते रहने की इनकी पुरानी नीति के कारण अंग्रेजों ने इस कौम को कुत्ता कहना शुरु किया।
मुसलिम आक्रान्ताओं एवं अंग्रेजो ने हिन्दुओं की इस खूबी का खूब लाभ उठाया, अब ये नेता उठा रहे हैं। हिन्दू अपनी जाति, उपजाति, अगड़े, पिछड़े, दलित, सिख, जैन में बुरी तरह विभाजित हैं। इस विभाजन को रोकना होगा अन्यथा ये नेता देश को खा जाएंगे। इन नेताओं को न देश की परवाह है और न ही समाज की, इन्हे केवल अपने वोट की चिन्ता है, इनकी ओर से समाज या देश जाय भाड़ में बस इनका वोट बैंक एवं नोट बैंक बना रहे, इसी की तिकड़म में रात दिन लगे रहते हैं।
ले दे कर एक भाजपा ही है जिससे देश को कुछ आशा है, परन्तु दुःख होता है कि इसके नेता भी आपस में लड़ने लगे हैं, इन्हे सर्व समाज से जुड़ना चाहिए क्योकि सच्चा देशभक्त इन्हे ही आशा भरी दृष्टि से निहार रहा है। हिन्दू आपस में जब तक लड़ते रहेंगे तब तक इस देश का भला नहीं को सकता, नेता जन तो .यही चाहते है कि हिन्दू समाज आपस में विभाजित एवं लड़ता ही रहे क्योंकि इनकी निगाहों में हिन्दू जितना टूटेंगे उतना ही देश टूटेगा और इनको उतना ही धन कमाने का मौका मिलेगा।
मेरी तो यही विनती है कि हिन्दुओं उठो, जुड़ो और ऐसे नेताओं से देश को मुक्त करने का आह्वान करो। धन्यवाद