आज अपने देश में दो बातें हुई। एक तथाकथित विपक्षी पार्टियों द्वारा आयोजित भारत बन्द दूसरी संसद भवन में कटौती प्रस्ताव पर मतदान।
दोनों अपनी पुरानी शैली में हुई, दोनो के परिणाम आपेक्षित थे। भारत बन्द के दौरान पूरे देश के गुण्डों के हवाले कर दिया गया, और कटौती प्रस्ताव मे सरकार की जीत हुई। समाजवादी पार्टी व राजद ने मुख्य तौर पर बन्द का आयोजन किया था। पुरानी स्मृतियों को ताजा करते हुए समाजवादी पार्टी व राजद के गुण्डे जहाँ तक सम्भव हो सका आगजनी करते रहे। सरकारी बसें जलाई गयी करोड़ों की सम्पत्ति की क्षति की गयी। केन्द्र सरकार की नीतियों के विरुद्ध आयोजित इस बन्द को देखकर कहीं से भी यह नही लगा कि ये केन्द्र सरकार का विरोध कर रहें है, इन्होने तो आम जन जिनके लिए ही बन्द का आयोजन किया गया था को लाचार कर दिया कि या तो हमारे साथ चलो या फिर जलती बस की तरह जलो। उक्त गुण्डागर्दी का नेतृत्व हमारे देश की तथाकथित आम जनों के हित करने वाली पर्टियाँ ही कर रही थीं। आम जन लाचार इन्हें देख रहा था। तुर्रा यह कि, यह भारत ‘गुण्डई से’ बन्द का प्रदर्शन आम जन के हितों की रक्षा के लिये किया गया था। मँहगाई से जूझ रही देश की निरीह जनता, पेट्रोल व डीजल के बढ़े दामों का विरोध करने के लिये बन्द का आयोजन किया गया था।
मायावती को तो देश या प्रदेश का जनता से कुछ लेना देना नहीं है उन्हें तो अपनी मूर्तियों को बनवाने से फुरसत नहीं है। उनकी कमजोर नस सी बी आई के हाथ में है और सी बी आई केन्द्र सरकार के हाथ में, सो मायावती को तो केन्द्र सरकार का साथ देना ही था, एक दिन पूर्व तक तो खाली मूली सस्पेन्स का दिखावा कर रहीं थीं।
समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह के पुत्र एक जगह इस गुण्डा प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे थे, उसका एक वक्तव्य सुन कर हँसी आ गयी। उन्होने कहा कि मायावती सी बी आई से डर गयी जिसके कारण उन्होनें प्रस्ताव के विरुद्ध केन्द्र सरकार के पक्ष मे वोट दिया। ये गुण्डे तत्व इतने बेफिक्र हो गये हैं कि इन्हें लगता है कि यह जो कुछ कह रहें हैं उसे ही आम जन सत्य मानते हैं। इधर वे सड़क पर केन्द्र सरकार के विरुद्ध आगजनी कर रहे थे उधर उसकी पार्टियाँ केन्द्र सरकार का साथ देने के लिये संसद से बहिर्गमन कर रही थी, शायद इस आशा में कि उनके विरुद्ध कोई कड़ी कार्यवाही न की जाय, भई हम भी तो आपकी तरह आम जन को बेवकूफ बना रहें हैं, आखिर हम हैं तो मौसेरे भाई ही।
अपने कुल जमा चार सांसदों को लेकर लालू ने संसद मे कहा कि अगर कटौती प्रस्ताव के पक्ष में ‘भाजपा’ न होती तो वे इसका समर्थन करते। क्या दलील दी है लालू ने। ऐसे ही नेताओं ने इस देश का बन्टाधार किया है।
खैर, भारत बन्द का गुण्डा प्रदर्शन भी हो गया, संसद मे सरकार भी बच गयी। बीच मे आम जन की जो दुर्दशा हुई उसकी शर्म न तो केन्द्र सरकार को होगी और न ही इस गुण्डा गर्दी करने वाले नेताओं को होगी। अगले दिन दोनो खबरें सुर्खियों में होंगी दोनो पक्ष अपने-अपने जवाँमर्दी की चर्चा करेंगे आम जन की तरफ पहले की भाँति उदासीन रहते हुए इसे आम जनता की जीत बताएंगे।
विभिन्न जातियों एवं समुदायों में बँटा आम जन पूर्व की भाँति सिर्फ अपनी दशा पर आँसू बहाता रहेगा। शायद आम जन के साथ यह ठीक ही होगा, अपने कर्मों का फल तो मिलना ही है।
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9 वर्ष पहले
1 comments:
देश तो कभी भी अच्छे आदमियों के पास नहीं रहा....हमेशा नेताओं के ही पास रहा है...और आपको तो पता ही है की नेता आजकल सिर्फ एक गाली है.. और कुछ नहीं तो क्यों ऐसे कामों के लिये उनको दोष दें..जिनके नाम में ही गाली है
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