रविवार, 19 अप्रैल 2009

दोहरी मानसिकता वाला चुनाव आयोग

मुख्य चुनाव आयुक्त का कथन कि वरुण गाँधी का बयान जहरीला था। चुनाव आयोग का यह कथन अपेक्षा के अनुरूप है क्योंकि उन्होने पहले ही भाजपा को बिना मांगे ही सलाह दे दी थी कि वरुण गाँधी को प्रत्याशी न बनाया जाय। चुनाव आयोग को लालू का बयान जो उन्होने पूर्व मे दिया था और एक बयान अभी आया है कि ‘आडवानी जी तो रिफ्यूजी है असली हिन्दू तो हम है’, शायद शहद के स्वाद जैसा लगेगा क्योंकि चुनाव आयोग दोहरी मानसिकता वाले आयुक्तों से इससे अधिक की अपेक्षा नही की जा सकती।
आंन्ध्र प्रदेश सोनिया पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का बयान ‘अगर किसी ने मुसलमानों की तरफ उंगली उठायी तो उसका हाथ काट डालेंगे‘, चुनाव आयोग को किसी प्रवचन की भाँति लगा शायद इसीलिए उन्होने इस पर चुप्पी साधना आवश्यक समझा। वरुण गाँधी का बयान तो इन तथाकथित सेक्युलर नेताओं के बयान के आगे कुछ भी नही था। बिहार की, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी (प्रदेश पर थोपी गई, क्योंकि यदि लालू चारा घोटाले में न फँसते तो उनका मुख्यमंत्री बनना असम्भव था) ने तो गाली बकनी शुरु कर दिया है। ये बौखलाये व जनाधार खोते नेता अब आँय-बाँय बक रहे हैं। चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया आपेक्षित है।
उपकृत चुनाव आयोग से और अपेक्षा ही क्या हो सकती है?