शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2012

चीनी मिल अधिकारियो की व्यथा

कुछ समय पूर्व की बात है एक व्यक्ति जानवरों के डाक्टर के पास गया और बोला डाक्टर मैं एक महीने की छुट्टी पर आया हूँ अतः कृपया मुझे इस एक महीने में ही पूरी तरह ठीक कर दें।
डाक्टर ने जवाब दिया – लगता है आप गलत जगह पर आ गये हैं, आपको मेरे क्लीनिक के सामने वाली क्लीनिक में जाना चाहिये, क्या आपने बोर्ड नहीं पढ़ा?
आदमी ने उत्तर दिया – नहीं डाक्टर मैं आपके ही पास आया हूँ।
डाक्टर – पर मैं तो जानवरों का डाक्टर हूँ, केवल जानवरों का ही विशेषज्ञ हूँ।
आदमी – मैं अच्छी तरह जानता हूँ इसीलिए मैं आपके पास आया हूँ।
डाक्टर – मैं समझ नहीं पा रहा हूँ, क्योंकि आप मेरी तरह दिखते हैं, मेरी तरह बोलते हें, मेरी तरह सोचते हैं. इसका मतलब है कि आप आदमी ही हैं जानवर नहीं।
आदमी – मैं एक इन्सान ही हूँ, पर पहले आप मेरी शिकायत तो सुनें।
डाक्टर – ठीक है, कहिये।
आदमी ने उत्तर दिया –
· मैं सारी रात अपने कार्य के बोझ से दबा कुत्ते की मानिन्द सोता हूँ।
· मैं प्रातःकाल में ही घोड़े की तरह उठ जाता हूँ।
· मैं अपने कार्यस्थल पर हिरन की तरह भागता जाता हूँ।
· मैं सारा दिन गधे की तरह काम करता हूँ।
· मैं साल के ग्यारह महीने बिना किसी छुट्टी व त्योहार के बैल की तरह काम करता हूँ।
· मैं अपने अधिकारी के सामने दुम हिलाता रहता हूँ।
· मैं अगर भूलवश कभी समय मिला तो अपने बच्चो के साथ बन्दर की भाँति खेलता हूँ।
· मैं अपनी पत्नि के सामने खरगोश की तरह रहता हूँ।
डाक्टर – क्या आप चीनी मिल में अधिकारी हैं।
आदमी – हाँ।
डाक्टर – फिर आपने इतनी लम्बी कहानी क्यों सुनायी, आपको पहले ही बता देना चाहिये था कि आप चीनी मिल में काम करते है, आइए, आपका अच्छा इलाज मेरे अतिरिक्त कोई दूसरा डाक्टर कर भी नहीं सकता।
और डाक्टर ने उस आदमी का इलाज प्रारम्भ कर दिया।